राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष
राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष नियम
राजस्थान सरकार उपभोक्ताओं के कल्याण को प्रोत्साहन तथा संरक्षण देने व राज्य में उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करने के लिये मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को आर्थिक सहायता अनुदान देने के लिये प्रशासनिक दृष्टि से राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष नियम बनाती है।
(1). संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
(क) इन नियमों को राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष, संशोधित नियम, 2016 कहा जाएगा।
(2). परिभाषाएं:- इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न होः-
(क) आवेदक से विशिष्टतया महिलाओं, अनुसूचित जातियों/अनु सूचित जन जनजातियों की ग्राम/मण्डल/समिति/समिति स्तर पर की उपभोक्ता सहकारिताओं अथवा राज्य द्वारा संचालित संगठन/सोसाइटियों सहित ऐसी एजेंसी/संगठन/पंजीकृत लोक न्यास/अन्य पंजीकृत अनुसंधान संगठन अभिप्रेत हैं, जो तीन वर्ष की अवधि से उपभोक्ता कल्याण गतिविधियों में लगे हो और कंपनी अधिनियम 1986 (1986 का 1) के अधीन या तत् समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत हों। तथापि, तीन वर्षों तक रजिस्ट्रीकरण की अपेक्षा राज्य सरकार द्वारा स्थापित एजेंसियों/सोसाइटियों पर लागू नहीं होती;
(ख) आवेदन से इस प्रयोजन के लिए इन नियमों के साथ संलग्न प्रपत्र- क-। में कोई आवेदन अभिप्रेत है;
(ग) उपभोक्ता का वही अर्थ है जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 (1986 का 68) की धारा 2 की उप-धारा (1) के खण्ड (घ) में है और इसमें उस माल का उपभोक्ता शामिल हैं जिस पर शुल्क संतप्त किया जा चुका है;
(घ) उपभोक्ता कल्याण कोष से राज्य सरकार द्वारा स्थापित कोष अभिप्रेत है;
(ड.) समिति से नियम 5 के अधीन गठित समिति अभिप्रेत है;
(च) उपभोक्ता का कल्याण के अन्तर्गत उपभोक्ताओं के अधिकारों का संवर्धन और संरक्षण शामिल है;
(छ) जो शब्द और पद इन नियमों में प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं है, किन्तु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1968 (1968 का 86) में परिभाषित है, उनका वही अर्थ है जो क्रमशः उस अधिनियम में दिया गया है।
(3). उपभोक्ता कल्याण कोष की स्थापना-
राज्य सरकार के द्वारा केंद्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष नियमों के अन्तर्गत बनाए गए दिशा निर्देशों के अनुसार उपभोक्ता कल्याण कोष स्थापित किया जाएगा, जिसमें केन्द्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष से बीज राशि के साथ-साथ जिला मंचों और राज्य आयोग में उपार्जित न्यायालय शुल्क और उपभोक्ता उत्पादों के विनिर्माताओं या सेवा प्रदाताओं द्वारा भुगतान किए जाने के लिए आदेशित कोई जुर्माना जमा किया जाएगा। राज्य में उपभोक्ता आन्दोलन को मजबूत करने के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता इस कोष में जमा की जाएगी।
(4). उपभोक्ता कल्याण कोष के लेखा और अभिलेखों का अनुरक्षण-
राज्य में उपभोक्ता कल्याण कोष के संबंध में उचित और पृथक लेखाओं को राज्य सरकार द्वारा रखा जाएगा और उनकी राज्य के नियंत्रक और महालेखा परीक्षण/महालेखाकार द्वारा लेखा परीक्षा की जाएगी।
(5). समिति का गठन-
1. उप नियम (2) के अधीन राज्य सरकार द्वारा गठित समिति इन नियमों के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए उपभोक्ताओं के कल्याण हेतु राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा किए गए धन के उचित उपयोग की सिफारिशें करेगी।
2. समिति, निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी; अर्थात
(क) राज्य सरकार में प्रमुख शासन सचिव, उपभोक्ता मामले विभाग, जो समिति का अध्यक्ष होगा;
(ख) शासन सचिव, वित्त विभाग, राजस्थान या उनका नामिति उपाध्यक्ष होगा;
(ग) शासन सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, राजस्थान या उनके नामिति;
(घ) शासन सचिव, शिक्षा विभाग, राजस्थान या उनके नामिति;
(ड़) उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार के संयुक्त सचिव/नामिति;
(च) निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, राजस्थान;
(छ) अतिरिक्त निदेशक (उपभोक्ता मामले);
(ज) निदेशक, उपभोक्ता मामले सदस्य सचिव होंगे;
(झ) राज्य स्तरीय स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन का एक प्रतिनिधि जिसके कार्य का अच्छा रिकार्ड हो या उपभोक्ता आन्दोलन में विशेषज्ञ जिसे स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन/गैर सरकारी संगठनों के कार्यकरण के संबंध में सक्रिय रूचि और अनुभव हो।
(संगठनों के प्रतिनिधियों का रोस्टर उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा तैयार किया जावेगा। रोस्टर के अनुसार संगठन के किसी एक प्रतिनिधि को अधिकतम दो वर्ष के लिए सदस्य बनाया जावेगा)
3. गठित समिति स्थायी समिति होगी।
(6). कारोबार के संचालन की प्रक्रिया-
1. समिति की जब कभी आवश्यकता हो, बैठक होगी, किन्तु किन्हीं भी दो बैठकों के बीच तीन मास से अधिक का अन्तराल नही होगा।
2. समिति की बैठक ऐसे समय और स्थान पर होगी, जिसे अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में समिति का उपाध्यक्ष ठीक समझे।
3. समिति की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा की जाएगी और अध्यक्ष की अनुस्थिति में उपाध्यक्ष समिति की बैठक की अध्यक्षता करेगा।
4. समिति की प्रत्येक बैठक, प्रत्येक सदस्य को लिखित सूचना देकर, जो ऐसी सूचना के जारी किए जाने की तारीख से दस दिन से कम की नहीं होगी, बुलाई जाएगी।
5. समिति की बैठक की प्रत्येक सूचना में समिति का स्थान और दिन तथा समय विनिर्दिष्ट होगा और उसमें संव्यवहृत किए जाने वाले कारोबार का विवरण होगा।
6. समिति की कोई कार्यवाही तब तक विधिमान्य नहीं होगी जब तक कि उसकी अध्यक्षता अध्यक्ष या उपाध्यक्ष द्वारा न की गई हो और कम से कम तीन अन्य सदस्य उपस्थित न हो।
(7). समिति की शक्तियां और कृत्य-
(क) समिति को किसी आवेदक से उसके समक्ष या यथा स्थिति राज्य सरकार के सम्यक रूप से प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष आवेदक की अभिरक्षा और नियंत्रण में ऐसी पुस्तकों, लेखाओं, दसतावेजों, लिखतों अथवा वस्तुओं को, जो आवेदन के समुचित मूल्यांकन के लिए आवश्यक हो, प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना;
(ख) किसी आवेदन किन्हीं ऐसे परिसरों में, जहां से ऐसे क्रियाकलापों का, जिनके बारे में दावा किया गया है कि वे उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए है, किया जाना कथित है, यथास्थिति राज्य सरकार के सम्यक रूप से प्राधिकृत अधिकारी को प्रवेश करने और उसको निरीक्षण करने की अनुज्ञा दी जाने की अपेक्षा करना;
(ग) आवेदक के लेखाओं का, अनुदान या उचित उपयोग किया जाना सुनिश्चित करने के लिए, लेखा, परीक्षा करवाए जाने;
(घ) किसी आवेदक से किसी व्यतिक्रम या उसकी ओर से तात्विक जानकारी के छिपाए जाने की दशा में समिति के मंजूर किए गए अनुदान का एकमुश्त प्रतिदाय करने और अधिनियम के नियमों अधीन अभियोजन के अध्यधीन होने की अपेक्षा करने;
(ड़) किसी आवेदक या किसी वर्ग के आवेदकों से अनुदान के उचित उपयोग का उपदर्शित करने वाली नियत कालिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने;
(च) उसके समक्ष रखे गए किसी आवेदन को वास्तिविक असंगतता होने या तात्विक विशिष्टयों में अशुद्धता के आधार पर नामंजूर करना;
(छ) किसी आवेदक को, उसकी वित्तीय स्थिति और किए जाने वाले, क्रियाकलाप के महत्व और उसकी प्रकृति की उपयोगिता को ध्यान में रखते, यह शुनिश्चित करने के पश्चात कि दी गई वित्तीय सहायता का दुरूपयोग नहीं किया जाएगा, अनुदान के रूप में न्यूनतम वित्तीय सहायता की सिफारिश करने;
(ज) लाभप्रद और सुरक्षित सेक्टरों की, जहां उपभोक्ता कल्याण कोष में से विनिधान किया जा सकता है, परिलक्षित करने और तद्नुसार सिफारिशें करने,
(झ) उपभोक्ता कल्याण कोष के प्रबंधन और प्रशासन के लिए दिशा-निर्देश बनाने;
(ट्) किसी आवेदक द्वारा देय किसी राशि को अधिनियम के उपबंधें के अनुसार वसूल करने; की शक्ति होगी।
(8). उपभोक्ता कल्याण कोष में उपलब्ध जमा रकम के उपयोग के लिए प्रयोजनों का विनिर्देश:-
समिति निधियों की मंजूरी के लिए निम्नलिखित सिफारिशें करेगी:-
(क) राज्य सरकार की योजनाओं के अनुसार किसी आवेदक को अनुदान उपलब्ध कराना।
(ख) उपभोक्ता कल्याण कोष में उपलब्ध धन का विनिधान
(ग) ऐसी अन्य गतिविधियां जो राज्य में उपभोक्ता के हितों के संवर्द्धन और संरक्षण के लिए जरूरी समझी जाए-यथा:-
1. पदार्थो व सेवाओं से उपभोक्ता के स्वास्थ्य व सुरक्षा के खतरों से संरक्षण।
2. उपभोक्ता के आर्थिक हितों को बढ़ावा व संरक्षण।
3. उपभोक्ता अधिकारों एवं विधियों के बारे में सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण
यथाः- सिनेमाघरों में स्लाईडस, लघु फिल्मों के माध्यम से उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागृति उत्पन्न करना। प्रासांगिक विषयों पर पोस्टरों/लघु पुस्तिकाओं का प्रकाशन कर उपभोक्ता आन्दोलन को गति प्रदान करना।
4. उपभोक्ता साक्षरता के प्रसार हेतु साहित्य और दृश्य व श्रृव्य सामग्री तैयार व वितरण करना और उपभोक्ता शिक्षा हेतु जानकारी बढ़ाने हेतु कार्यक्रम।
5. संस्था के उद्देश्यों संबंधित विषयों पर संगोष्ठी/कार्यशाला/ प्रदर्शन-आयोजन
6. पुस्तकालय तथा सूचना केन्द्र स्थापित करना।
7. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुदृढ़ संचालन एवं उसकी क्रियान्विति का मूल्यांकन
8. उपभोक्ता मामलों से संबंधित नियम, आदेश आदि को जनहित में आवश्यकतानुसार प्रकाशित करवाना, प्रचार-प्रसार करना एवं अन्य वैधानिक प्रावधानों का विधिक प्रशिक्षण की कार्ययोजना बनाना।
9. विश्व उपभोक्ता दिवस एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करना।
10. उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से संबंधित समस्याओं/शिकायतों के समाधान हेतु वादपूर्व विधिक सहायता/परामर्श उपलब्ध कराना।
11. उपभोक्ता के हितों से संबंधित समस्त कार्य।
12. राज्य सरकार द्वारा आवंटित उपभोक्ता विषयक कार्य।
13. प्राकृतिक आपदा अथवा संकटकालीन परिस्थितियों का खाद्यान्न प्रबंधन बाबत् कार्य योजना तैयार करना।
14. उपभोक्ता आन्दोलन में जन सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली व्यक्तियों एवं संस्थाओं का सम्मानित/पुरस्कृत करना।
15. छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता आन्दोलन को बढ़ावा देने के लिये उपकरणों, जैस फिल्म प्रोजेक्टर, पब्लिक एड्रेस सिस्टम,परीक्षण किट, पुस्तकें आदि की व्यवस्था हेतु योजनाओं का क्रियान्वयन।
16. विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता एवं शुद्धता एवं परीक्षण हेतु प्रयोगशाला जैस आधारभूत ढांचे का सृजन करना।
(9). सहायता की मात्राः-
किसी एक व्यक्तिगत आवेदन पर सहायता की कुल राशि 5 लाख रूपये से अधिक नही होगी। सहायता अनुमोदित लागत के 90 प्रतिशत तक सीमित होगी। किन्तु, आपवादिक मामलों में 100 प्रतिशत सहायता देने पर विचार किया जा सकता है। सहायता की राशि के बारे में निर्णय उपभोक्ता कल्याण निधि नियमावली के नियम 5 के तहत गठित समिति द्वारा दिया जाएगा। राज्य सरकार/कोष समिति अपनी योजनाओं-कार्यक्रमों के लिए आवश्कतानुसार राशि स्वीकृत-आवंटित कर सकेगी।
ऐसे संगठनों की तरजीह दी जाएगी जो अखिल भारतीय राज्य स्तरीय स्वरूप के हों और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे हों तथा जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हों।