भ्रामक विज्ञापन :- जरूरी सावधानियाँ
उदारीकरण और उपभोक्तावाद के बढते दौर में बाजार में उत्पादों और सेवा प्रदाताओं की
संख्या एवं उसी अनुरूप उत्पाद एवं सेवाओं की भिन्नता भी तेजी से बढ़ रही है | ऐसे में निर्माताओं एवं सेवा प्रदाताओं के पास विज्ञापन ही अपने उत्पादों के संबंध में अधिकाधिक लोगों तक जानकारी पहुँचाने का सबसे सशक्त माध्यम है | उपभोक्ताओं के पास भी विभिन्न उत्पाद एवं सेवाओं के बारे में जानने का यह एक सबसे सुलभ प्रकार है, किंतु बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ताओं के शोषण की बढ़ती प्रवृति के चलते अनेक निर्माताओं एवं सेवा प्रदाताओं ने विज्ञापनों को उपभोक्ता को भ्रमित करने का एक बड़ा माध्यम बना लिया है |
उपभोक्ताओं को विज्ञापनों के जरिये भ्रमित करने की स्थिति में यदि उपभोक्ता न्याय प्राप्त
करना चाहता है, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों के माध्यम से वे ऐसे विज्ञापन दाताओं के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं | भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में अनुचित व्यापारिक व्यवहार के तहत विभिन्न प्रावधान किये गए है ,लेकिन इस संबंध में विज्ञापनों की विषय वस्तु को नियंत्रण करने वाले निकाय के रूप में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् एक महत्वपूर्ण निकाय है, जिसके बारे में भी उपभोक्ताओं को जानना चाहिये |
परिषद् ने विज्ञापनों की विषय वस्तु को नियंत्रित करने के लिए एक आचार संहिता को अंगीकार किया है, जिसके तहत सामान्यतः विज्ञापनों में किये गए निरूपणों तथा दावों की सत्यता और ईमानदारी सुनिश्चित करने और भ्रामक विज्ञापनों से बचाव करने के लिए निम्न प्रावधान किये गए है -
- सभी विवरण, दावे और तुलनाएँ जिनका संबंध तथ्यात्मक रूप से निश्चित मामलों से है, प्रमाणित किये जाने योग्य होने चाहिए | विज्ञापनकर्ताओं और विज्ञापन एजेंसियों को जब भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् द्वारा बुलाये जाने तो उन्हें ऐसे प्रमाणित तथ्य प्रस्तुत करना अपेक्षित है |
- जहां विज्ञापित दावे स्वतंत्र अनुसंधान अथवा आंकलन पर आधारित या उनके द्वारा समर्थित बताये गए हों, वहां उनका स्त्रोत और तारीख विज्ञापन में दर्शाई जानी चाहिए |
- विज्ञापनों में संदर्भित व्यक्ति, फर्म अथवा संस्थान की अनुमति के बिना किसी व्यक्ति, फर्म अथवा संस्थान का ऐसा कोई संदर्भ नहीं होना चाहिए जिससे विज्ञापित उत्पाद को अनुचित लाभ मिले अथवा उस व्यक्ति, फर्म अथवा संस्थान का उपहास अथवा बदनामी हो | यदि कभी भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् द्वारा ऐसा किया जाना अपेक्षित हो तो विज्ञापनदाता और विज्ञापन एजेंसी को उस व्यक्ति, फर्म अथवा संस्थान जिसका कि विज्ञापन में संदर्भ दिया गया है, से स्पष्ट अनुमति प्रस्तुत करनी होगी |
- विज्ञापनों में न तो तथ्यों को तोड़ना, मरोड़ना होगा और न ही उपभोक्ताओं को उपलक्षणों या चूक के द्वारा भ्रमित करना होगा | विज्ञापनों में ऐसे कथन या द्श्य प्रस्तुतियाँ नहीं होगी चाहिए, जिससे प्रत्यक्ष अथवा उपलक्षण अथवा चूक द्वारा अथवा अस्पष्टता द्वारा अथवा बढ़ा-चढ़ा के किये गए वर्णन से उपभोक्ता को विज्ञापन दाता या अन्य किसी उत्पाद या विज्ञापन दाता के बारे में धोखा दे सकते हो |
- ऐसे विज्ञापन तैयार नहीं किये जाने चाहिए, जिससे उपभोक्ता के विश्वास का दुरूपयोग हो या उसके अनुभव या ज्ञान की कमी के कारण उनका शोषण होता हो | किसी भी विज्ञापन को बढ़ा-चढ़ा कर कोई ऐसा दावा प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी जायेगी जिससे उपभोक्ता के मस्तिष्क में गंभीर या घोर निराशा हो |
- उपभोक्ता को लुभाने या उनकों आकर्षित करने के लिऐ स्पष्ट असत्यता और अत्युक्तियों की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे स्पष्ट रूप से विनोदपूर्ण या अतिश्योक्तिपूर्ण लगे तथा उनके विज्ञापित उत्पाद के लिए यथार्थ अथवा भ्रामक दावे करने वाले समझे जाने की संभावना न हो़ |
- वस्तुओं और सेवाओं के व्यापक निर्माण और वितरण में यदा-कदा अंजाने में विज्ञापित वायदे अथवा दावे को पूर्ण करने में चूक होने की संभावना रही है| इस प्रकार की यदा-कदा अंजाने में होने वाली चूकों से विज्ञापन को इस संहिता के अन्तर्गत अवैध नहीं माना जायेगा लेकिन ऐसे मुददे की जांच करते समय यह देखा जायेगा कि क्या वायदा या दावा विज्ञापित उत्पाद के विशिष्ट नमूने को पूरा करने मे समक्ष है और क्या उत्पाद की ख्राबी का अनुपात आमतौर पर स्वीकार किये जाने की सीमाओं के अन्दर है और क्या विज्ञापनकर्ता ने कमी को पूरा करने के लिए तुरन्त कार्यवाही की है़् |
इसी प्रकार इसके माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया गया है कि विज्ञापन लोकाचार के आमतौर पर स्वीकार्य मानकों के प्रतिकूल न हो अर्थात विज्ञापनों में कोई अश्लील, असभ्य बात नहीं होनी चाहिए| जिससे लोकाचार और लोक मर्यादा के प्रचलित सामान्य स्वीकार्य मानदण्डों के आलोक में गंभीर और व्यापक अपराध होने की संभावना हो।
परिषद ऐसे उत्पादों के संवर्द्धन और उत्पादों के लिए विज्ञापन के अंधाधुंध प्रयोग से बचाव करती है, जिनको समाज या व्यक्तियों में एक हद तक खतरनाक माना जाता है या जो इस प्रकार की होती है जिन्हें समाज व्यापक रूप से स्वीकार नहीं करता ।
इस संहिता के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि विज्ञापन प्रतियोगिता में निष्पक्षता बरते जिससे उपभोक्ताओं को बाजार में विकल्पों के संबंध में सूचित किये जाने की जरूरत और कारोबार में आमतौर पर स्वीकार्य प्रतियोगी व्यवहार दोनों की जानकारी दी जा सके|
यदि किसी उपभोक्ता को यह लगता है कि प्रदर्शित किये गये विज्ञापनों में उपरोक्त मानकों का उल्लंघन हुआ है तो उपभोक्ता भारतीय विज्ञापन मानक परिषद में इस संबंध में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता अन्य कानूनों के जरिये भी भ्रमित करने वाले विज्ञापनों के विरूद्ध कार्यवाही कर सकता है। भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत गठित उपभोक्ता आयोग एवं मंचों में भी कार्यवाही कर सकता है।